Skip to main content

Motivational story

 Motivational Story


Best Story

जंगल में शेर शेरनी शिकार के लिये दूर तक गये अपने बच्चों को अकेला छोडकर।


जब देर तक नही लौटे तो बच्चे भूख से छटपटाने लगे. 


उसी समय एक बकरी आई उसे दया आई और उन बच्चों को दूध पिलाया फिर बच्चे मस्ती करने लगे.


तभी शेर शेरनी आये. बकरी को देख लाल पीले होकर शेर हमला करता, 


उससे पहले बच्चों ने कहा इसने हमें दूध पिलाकर बड़ा उपकार किया है नही तो हम मर जाते।


अब शेर खुश हुआ और कृतज्ञता के भाव से बोला हम तुम्हारा उपकार कभी नही भूलेंगे, जाओ आजादी के साथ जंगल मे घूमो फिरो मौज करो।


अब बकरी जंगल में निर्भयता के साथ रहने लगी यहाँ तक कि शेर के पीठ पर बैठकर भी कभी कभी पेडो के पत्ते खाती थी।


यह दृश्य चील ने देखा तो हैरानी से बकरी को पूछा तब उसे पता चला कि उपकार का कितना महत्व है।


चील ने यह सोचकर कि एक प्रयोग मैं भी करती हूँ, 

चूहों के छोटे छोटे बच्चे दलदल मे फंसे थे निकलने का प्रयास करते पर कोशिश बेकार ।


चील ने उनको पकड पकड कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया.


बच्चे भीगे थे सर्दी से कांप रहे थे तब चील ने अपने पंखों में छुपाया, बच्चों को बेहद राहत मिली.


काफी समय बाद चील उडकर जाने लगी तो हैरान हो उठी चूहों के बच्चों ने उसके पंख कुतर डाले थे।


चील ने यह घटना बकरी को सुनाई तुमने भी उपकार किया और मैंने भी फिर यह फल अलग क्यों? ?


बकरी हंसी फिर गंभीरता से कहा....

उपकार करो,

 तो शेरों पर  करो

चूहों पर नही।


क्योंकि कायर कभी उपकार को याद नही रखते और बहादुर  कभी उपकार नही भूलते... 

Share more this story

Lion
Lion


                 Saurabh यादव 🙏🙏

Comments

Popular posts from this blog

Viral new story

    New story viral Story bank❤❤ इसे कहते है कसक ओर चाहत- लंबी कहानी।  ट्रेन चलने को ही थी कि अचानक कोई जाना पहचाना सा चेहरा जर्नल बोगी में आ गया। मैं अकेली सफर पर थी। सब अजनबी चेहरे थे। स्लीपर का टिकिट नही मिला तो जर्नल डिब्बे में ही बैठना पड़ा। मगर यहां ऐसे हालात में उस शख्स से मिलना। जिंदगी के लिए एक संजीवनी के समान था। जिंदगी भी कमबख्त कभी कभी अजीब से मोड़ पर ले आती है। ऐसे हालातों से सामना करवा देती है जिसकी कल्पना तो क्या कभी ख्याल भी नही कर सकते । वो आया और मेरे पास ही खाली जगह पर बैठ गया। ना मेरी तरफ देखा। ना पहचानने की कोशिश की। कुछ इंच की दूरी बना कर चुप चाप पास आकर बैठ गया। बाहर सावन की रिमझिम लगी थी। इस कारण वो कुछ भीग गया था। मैने कनखियों से नजर बचा कर उसे देखा। उम्र के इस मोड़ पर भी कमबख्त वैसा का वैसा ही था। हां कुछ भारी हो गया था। मगर इतना ज्यादा भी नही। फिर उसने जेब से चश्मा निकाला और मोबाइल में लग गया। चश्मा देख कर मुझे कुछ आश्चर्य हुआ। उम्र का यही एक निशान उस पर नजर आया था कि आंखों पर चश्मा चढ़ गया था। चेहरे पर और सर पे मैने सफेद बाल खोजने की कोशिश की मग़र मुझे नही द

New story of middle class family

Story of life New Story  एक घर मे तीन भाई और एक बहन थी...बड़ा और छोटा पढ़ने मे बहुत तेज थे। उनके मा बाप उन चारो से बेहद प्यार करते थे मगर मझले बेटे से थोड़ा परेशान से थे।  बड़ा बेटा पढ़ लिखकर डाक्टर बन गया।  छोटा भी पढ लिखकर इंजीनियर बन गया। मगर मझला बिलकुल अवारा और गंवार बनके ही रह गया। सबकी शादी हो गई । बहन और मझले को छोड़ दोनों भाईयो ने Love मैरीज की थी। बहन की शादी भी अच्छे घराने मे हुई थी। आखीर भाई सब डाक्टर इंजीनियर जो थे। अब मझले को कोई लड़की नहीं मिल रही थी। बाप भी परेशान मां भी।  बहन जब भी मायके आती सबसे पहले छोटे भाई और बड़े भैया से मिलती। मगर मझले से कम ही मिलती थी। क्योंकि वह न तो कुछ दे सकता था और न ही वह जल्दी घर पे मिलता था। वैसे वह दिहाडी मजदूरी करता था। पढ़ नहीं सका तो...नौकरी कौन देता। मझले की शादी कीये बिना बाप गुजर गये । माँ ने सोचा कहीं अब बँटवारे की बात न निकले इसलिए अपने ही गाँव से एक सीधी साधी लड़की से मझले की शादी करवा दी। शादी होते ही न जाने क्या हुआ की मझला बड़े लगन से काम करने लगा । दोस्तों ने कहा... ए चन्दू आज अड्डे पे आना। चंदू - आज नहीं फिर कभी  दोस्त - अ

shikhar dhawan

About Shikhar Dhawan   शिखर धवन के बारे में शिखर धवन एक भारतीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर हैं। बाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज और कभी-कभी दाएं हाथ के ऑफ ब्रेक गेंदबाज होने के नाते, वह इंडियन प्रीमियर लीग और दिल्ली में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पंजाब किंग्स के लिए खेलते हैं।    शिखर धवन 2004 के अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप में भारत के लिए खेल चुके हैं। वह "प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट" और सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी (84.16 की औसत से 505 रन) थे। उन्होंने 2004-05 रणजी ट्रॉफी सीजन में दिल्ली का प्रतिनिधित्व किया है। शिखर ने 2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना भारत अंतर्राष्ट्रीय एकदिवसीय डेब्यू किया। अपने पहले 5 एकदिवसीय मैचों में, उन्होंने केवल 69 रन बनाए और बाद में उन्हें भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया। लेकिन वह पूरी ऊर्जा और आत्मविश्वास के साथ वापस आए। उन्होंने आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2013 जीतने वाली भारतीय टीम के लिए एक प्रमुख भूमिका निभाई। सफल टी 20 और घरेलू प्रथम श्रेणी सीज़न के बाद, शिखर धवन को 14 मार्च को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच में वीरेंद्र सहवाग की जगह लेने के लिए भारतीय टेस्