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moral story 2

आपका कीमती समय देने के लिए दिल से शुक्रिया। 

Thank you very much for giving your valuable time.
                                                           

moral story 2                


 एक बार की बात है। एक बार एक अध्यापक एक संपन्न परिवार के शिष्य के साथ कहीं जा रहे थे।
 तो उस शिष्य को कुछ मजाक सूझी क्योंकि उसको रास्ते में किसी गरीब मजदूर के जूते दिखाई दिए।
 उसने अध्यापक से कहा गुरु जी अगर हम इन जूतों को छुपा दे तो कितना मजा आएगा?


 देखते हैं कि मजदूर पर इसका क्या असर पड़ता है?

अब उसको तो मजाक सूझ रहा था। लेकिन गुरु जी ने कहा। कि नहीं? गरीब इंसान के साथ इस तरह का भद्दा मजाक करना ठीक नहीं है उसने कहा

 क्यों ना? हम इन जूतों में कुछ सिक्के डाल दें और देखें कि इसका इस गरीब गरीब मजदूर पर क्या प्रभाव पड़ता है? उन्होंने ऐसा ही किया।

 जैसे ही मजदूर अपना काम करके लौटा। और उसने एक पाँव अपने जूते में डाला। तो उसको कुछ कठोर सा महसूस हुआ उसने अंदर हाथ डाला तो उसको कुछ सिक्के दिखाई दिए वह थोड़ा आश्चर्य में पड़ गया आसपास किसी को देखा तो कोई भी दिखाई नहीं दिया।   वापस उसने दूसरा पैर अपने जूते में डाला और वापस उसको उसमें कुछ सिक्के दिखाई दिए। अब दोनों जूतों के सिक्कों को उसने अपने हाथों में रखा। और? प्रभु की तरफ इशारा किया हे प्रभु पता नहीं। किस भले मानुष ने? यह सिक्के मेरे जूतों में छुपाए है लेकिन जिसने भी छुपाए हैं। उसको मेरी दुआ है ताकि इन पैसों से,

मैं अपने बच्चों और पत्नी के लिए कुछ खाना और दवाइयां ला सकूं सकूंगा और इतना बोल कर वह चला गया। इस बात को शिष्य और अध्यापक दोनों सुन रहे थे अब अध्यापक ने शिष्य से पूछा कि अब तुम मुझे बताओ कि तुम्हें कैसा महसूस हुआ तुम्हारी पहले वाली मजाक या मेरा यह तरीका

 तो उसने कहा कि गुरु जी? मैं आपसे क्षमा चाहता हूं। अब मुझे समझ आ गया है कि सच्ची खुशी किस चीज में है जब हम किसी की मजाक उड़ाते हैं तो हमें कुछ पल का आनंद मिलता है लेकिन इससे हमें बद्दुआ मिलती है। लेकिन
अगर हम किसी की मुश्किल परिस्थिति में मदद करते हैं और जिसकी भी हम मदद करते हैं उसको भी नहीं पता कि हमने उसकी मदद की है लेकिन अंदर ही अंदर हमें पता है कि हमने उस इंसान की मदद की है। यही सच्ची खुशी है जब हम दूसरों को खुशी देते हैं तो हमें सच्ची खुशी मिलती है।


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